झड़ लागी सावण की ,टिप -टिप बरसै मेह
यौवन पाणी भिजतां, तापे सगळी देह ।।
झिर -मिर मेवो बरसता, बिजली कड़का खाय ।
साजन का सन्देश बिना, छाती धड़का खाय ।।
काली -पीली बादळी, छाई घटा घनघोर ।
घर -जल्दी सूं चाल री, बरसगो बरजोर ।।
गगन मंडल सूं उतरी, तीजा चारुं मेर।
रेशम -रेशम हुयी धरा, खिलगा जांटी - केर ।।
नाडी-सरवर लौट रहया, टाबर ढांढ़ा - ढोर ।।
चित उचटावे बीजळी, पपिहो बैरी दिन -रैण।
"पिहू-पिहू" बोले मसखरो, मनड़ो करे बैचैण ।।
पाछ सगळा जिमस्यां, थान्को धुप्यो खैर ।।
हिंडा - हिंडू बाग़ में, सजधज करूँ बणाव ।।
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