ककराना गाँव में विभिन्न जन सेवार्थ निर्माण कार्य करवाने वाले लोग भी हुए हैं ।जिन्होंने अपने कमाए हुए शुभ धन में से समाज के लिए लगाने का पुनीत कार्य किया है ।कहते है धन की पिपासा कभी भी किसी व्यक्ति की नहीं बुझी है ।अपितु जैसे जैसे बढा है उतनी ही और बलवती हुई है है ।ऐसे में कुछ विरले पुरुष ही होते हैं जो उस धन का मोह त्याग कर समाज हित में सहर्ष दान कर देते हैं ।सुरवीर पुरुष व् दानवीर पुरुषों के समबन्ध में किसी कवि ने ठीक ही कहा है -
पूत जण तो दोय जण, के दाता के शुर ।
नहीं तो रहीजे बाँझड़ी, मति गमाजे नूर ।।
ऐसे भामाशाह पुरुषों का जिक्र जब करते है तो सबसे प्रथम नाम सेठ पन्ना लाल अग्रवाल का आता है ।सेठ पन्ना लाल जी के मन में गाँव के प्रति कितना अपार प्रेम था बताने की आवश्यकता नहीं है ,उनके द्वारा करवाए गए निर्माण कार्य खुद ब खुद बयां करतें है ।उन्होंने एक के बाद एक शिव मंदिर ,बालिका विद्यालय व् गोपाल जी का मंदिर बनवाकर मात्रभूमि के प्रति अपने कर्तव्य का बखूबी निर्वहन किया ।
१. शिव मंदिर--
सेठ जी सर्वप्रथम गाँव में पशुपति नाथ बाबा का सुंदर मंदिर १९२७ में अपने पिता श्री की यादगार में बनवाया ।यह गाँव का पहला मंदिर था जिसमे संगमरमरी चिप्स पत्थर का प्रयोग हुआ था व् सुंदर फर्श व् स्तंभों से बना है।यह मंदिर गाँव के सबसे पुराने बरगद के पेड़ के निचे बना है ।बताते है इस मंदिर के स्थान पर पहले कुआ था ।इस मंदिर की खासियत यह रही है की यह गाँव के लोगों का पसंदीदा स्थान रहा है ।ग्रीष्म काळ की तपती दोपहरियों में इस के आश्रय में शीतलता का आभास होता है ।जिस के परिणाम स्वरुप यह गाँव का शिमला (cool palace) कहलाता है ।क्या बच्चे ,बड़े ,बुजुर्ग सभी यंहा पनाह लेते है ।ग्रीष्म में विभिन्न ग्रामीण खेल खेलने वालों का यहाँ आन्नद दायक कलरव गूंजता रहता है ।
२.उच्च प्राथमिक बालिका विद्यालय -
सेठ पन्ना लाल जी ने गाँव में बालिकाओं के लिए प्रथक विद्यालय नहीं होने की कमी को महसूस किया ।उन्होंने बालिका शिक्षा को बढ़ावा देनेके लिए बालिका स्कूल खोला ।गाँव के उच्च माध्यमिक विद्यालय के सामने सुंदर व् पर्याप्त भवन निर्माण करवा कर अपनी माता श्री नाम से स्कूल गाँव को सौंपा ।उनके द्वारा प्रदत भवन में सरकर ने सरकारी बालिका विद्यालय की मान्यता प्रदान की और उन्हें भामाशाह नागरिक सम्मान से समान्नित किया गया ।
३.गोपाल जी का मंदिर -
गाँव का गोपाल जी का मंदिर जर्जर अवस्था में हो गया था । पन्ना लाल जी ने मंदिर का पुन्रुदार करवाने की मनसा प्रकट की ।और उन्होंने बहुत सुंदर मंदिर को मूर्त रूप देना प्रारंभ कर दिया ।मंदिर के निर्माण में सुंदर संगमरमर पत्थर का प्रयोग किया गया है व् राधा-कृष्ण की आकर्षक मूर्तियाँ स्थापित की गयी है । उनके इस निर्माण में महादेव प्रसाद स्वामी ने भी उनका सहयोग किया था ।
२. ठा. भागीरथ सिंह जी ठुकरानी- इनको पो वाले बाज़ी के नाम से जाना जाता था ।उन्होंने भी अपने संचित धन से धर्मशाला का निर्माण करवाया ।
३.सेठ सुंडा राम -सेठ सुंडा राम ने धर्मार्थ के लिए धर्मशाला का निर्माण करवाया ।जो की गाँव के पुराने स्टैंड पर स्तिथ है ।वर्तमान में सभी धर्मशालाओं में यही सर्वाधिक प्रयोग में ली जाती है ।धर्मशाला में पानी -बिजली का समुचित प्रबंध है ।
४.सेठ गोकुल राम महाजन- सेठ गोकुल राम महाजन ने गाँव की पूर्वी दिशा में धर्मशाला का निर्माण करवाया था।यह धर्मशाला पहले गाँव में विभिन्न शादी समारोह में बारातों के रनिवास के लिए सर्वाधिक पर्योग होती थी ।इस धर्मशाला के सामने प्रयाप्त खुला स्थान है ।व् पहले इसमें जल श्रोत के रूप में एक कुई भी थी ।जिससे पानी की समुचित व्यवस्था रहती थी ।वर्तमान में इसमें एक निजी स्कूल संचालित हो रही है ।