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Saturday, July 5, 2014

जलमभोम (जन्मभूमि)

गजेन्द्र सिंह शेखावत 

डूंगर का आडा में ,उतरादो देव धनि है ठाडो|
गाय -धर्म को रक्षक , माता सेढू को यो लाडो 
चावलां को प्रसाद चढ़े,और ऊपर शकर को दाणों| 
धन - धन है या जलमभोम ,नाम है ककराणों ॥

गाँव सामो उंचवे लिछमन धनि बिराजे 
उदेपरवाटी  म एकला, ठाकर को डंको बाजे 
हाथ गदा हड्मान,और लिछमन के शाही बाणों
धन - धन है या जलमभोम ,नाम है ककराणों॥

नाला में गोपालजी गऊआ ने चरावे 
सुंदर मंदर बन्यो जख में बांसुरीया बजावे |
शिव परिवार भी साथ में ,सरपां को है गेहणो 
धन - धन है या जलमभोम ,नाम है ककराणों ||

सर्प दोष ने दूर करे अठे बाबो हिरामल 
सांप कट्या को जहर उगले ,देव है बड़ो परबल 
पाँच की व्ह्ह धुप ध्यावना ,आवे जातरी भारी 
चढ़ा प्रसाद पताशा नारेल ,तांती बांध न्यारी |
गोठिया बाबा का गावे ,खिंच कान को त़ाणों 
धन - धन है या जलमभोम ,नाम है ककराणों ॥

सति  -जती, महात्मा निप्ज्या ई धरती क माय 
चतर कँवर ,हरिदास जी,  
दादाजी न ध्याय 
भेरुं ,माता शीतला, पितराँ का बण्या है थान 
धो ख मावस न देकर ,राखा बाको मान | 
सति जी की म्हमा न्यारी, मंदर बहुत पुराणो
धन - धन है या जलमभोम ,नाम है ककराणों ॥

मिडिल बालिका ,सिनियर,शिक्षा न्यारी न्यारी 
मिनख अठा का सीधा -सांचा ,और है ब्योहारी
दिखनादा की डूंगरी पर माता मंदर प्यारो 
घाटी में मतवालों भेरो बैठ्यो सबसू न्यारो 
नदी किना र देबी मंदर कुदरत को नजराणो |

धन - धन है या जलमभोम ,नाम है ककराणों

अंग्रेज फौज म सूबेदार पद पायो पाबुदान
पेंतालिस गांव की पंचायत म मानेता बड़ मान !
कुरीतियां क बिरुध् उन बख्त बिगुल बजायो
कन्या हत्या,अशिक्षा को जद झंडो चढ्यो सवायो !
जैपर स्टेट म नांव-गांव को लिख्यो उज्ज्वल परवाणो
धन - धन है या जलमभोम ,नाम है ककराणों !!


खेतरपाल रिगतमल भैरूं, मामलिय म्हामाई 
गुडगांवा अर ,तांतिज की जात लागती-आई।
रात च्यानणी और अंधेरी, देव पितर में बांटी
भोग भ र मायाँ को भागण, चावल दाल काठी |
जात-जडूला धोक-चूरमा, पितरां को जगराणो
धन - धन है या जलमभोम ,नाम है ककराणों ॥


ढाणी -ढहर न्यारा -न्यारा, पण परस्पर मेल
मजदूरी खेती पर निर्भर कोई रेवड़ क गेल |
बोलै कम सोचै परहित में, सेखी नही बधारै। 
आडी में आडा आवणिया, सैं का काम संवारै |
बिन बिरखा और ताल तलैया, पाणी घणो अब उंडों
प्यासी रोही अपलक उडीक, चौमासा को मुंडो |
बीती बात हुय्या पनघट, अ र पाळ, नदी को न्हाणो
धन - धन है या जलमभोम ,नाम है ककराणो ||


घुघाव मोड्यां रुंद गला सु, छतरी ताणै मोर 
गुट्टर-गूं कर चुगै कबूतर, बिखरै दाणा भोर |
भेंस बकरिया गाय मवेशी दिन उग्तानी दुव 
फोई खातर टाबर-टोली काड हथेली जोवै |
झरमर -झरमर घर धिरयाणी घा ल दही बिलाणो
धन - धन है या जलमभोम ,नाम है ककराणो ||


सब जातां को मेल अठे ,शांति को है बासो 
कोई प्राइवेट रुजगार करे ,कोई को राज म पासो 
रल मिल मनावे तीज त्योंगर, और गाँव का मेला 
गणगोरयाँ को होवे उछब,भान्त -भान्त का खे ला 
कोई शहर को बासी होगो ,और कोई देश बीराणों ।
धन - धन है या जलमभोम ,नाम है ककराणों