गजेन्द्र सिंह शेखावत
बज उठी दुन्दुभिया,हो गया एलान लोकशाही समर का
धूर्त शकुनियो ने कस लिया कमरबंध अपनी कमर का ।
सावधान । निर्लज्ज आयेगा बस्ती में भिखारी बनकर ।
निसंकोच करेगा आलाप , वह मंच पर तनकर |
जादूगरी दिखायेगा शब्दों की गलियों नुक्कड़ कुचों पर
भीड़ में इन्सान नहीं वोट गिने जायेंगे और नजर होगी मतदान बूथों पर |
भावनायो ,सूरा के पैमानों से बहकाएंगे,तीर तरकश में होंगे अनेक
क्षेत्र ,ढाणी,गाँव ,जाति,धर्म के अनुपात को देखकर देंगे उन्हें फेंक |
कौन पूछे गा उनसे की विकाश का मुह किधर है?
भूखा नंगा भारत फुटपाथ पर देखो इधर है |
पूंजीपति-भ्रष्ट ,मुनाफाखोर,कालाबाजारियों की बनाते तुम कोठिया
सर्वहारा वर्ग के पेट से दूर मत करो दो जून की रोटिया ||
बज उठी दुन्दुभिया,हो गया एलान लोकशाही समर का
धूर्त शकुनियो ने कस लिया कमरबंध अपनी कमर का ।
सावधान । निर्लज्ज आयेगा बस्ती में भिखारी बनकर ।
निसंकोच करेगा आलाप , वह मंच पर तनकर |
जादूगरी दिखायेगा शब्दों की गलियों नुक्कड़ कुचों पर
भीड़ में इन्सान नहीं वोट गिने जायेंगे और नजर होगी मतदान बूथों पर |
भावनायो ,सूरा के पैमानों से बहकाएंगे,तीर तरकश में होंगे अनेक
क्षेत्र ,ढाणी,गाँव ,जाति,धर्म के अनुपात को देखकर देंगे उन्हें फेंक |
कौन पूछे गा उनसे की विकाश का मुह किधर है?
भूखा नंगा भारत फुटपाथ पर देखो इधर है |
पूंजीपति-भ्रष्ट ,मुनाफाखोर,कालाबाजारियों की बनाते तुम कोठिया
सर्वहारा वर्ग के पेट से दूर मत करो दो जून की रोटिया ||