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Sunday, May 31, 2015

आरक्षण की दोगली नीति

गजेन्द्र सिंह शेखावत 

आरक्षण की रेवड़ी,
कर दियो बंटाधार |
गरीब आज भी गरीब है ,
नेता को ब्योपार ।|
आजादी के क़ानून में
करदी तगड़ी रार |
एक बजावे झूंझणो,
दूजो खावे खार ॥
जाट पात न मेटन सारू
नेता घणा गा जै
कठे घोषणा कर अटल जी ,
कठे वसुंधरा रा जे
धर्म निरपेक्ष ,एक देश
अमीर- गरीब दो जाति
ऊँची जात को गरीब वंचित ,
चावे इमे पातीं ॥
टेम रेहतां इ लड़ाई न
नेतों थे अब मेटो ।
भेदभाव को यो दोगलो रासो ,
भींच नाख गो घेंटो ॥

Monday, May 25, 2015

राजस्थान की गर्मी का दूहा

गजेन्द्र सिंह शेखावत 

ताती बाजे लूवां,
सुना -ढाणी  गांव |
तपती- बलती  बास्ते
 ज्यूँ सामो चूले- ताव ॥(1)

गर्मी की दोपहरयाँ,
कलडी तीखी धुप
मिनख जिनावर छापलरया ,
 कर्फ्यू को सो रूप ॥(2)

ध्यान राखज्यो बापजी र ,
कांदा  राब सूं हेत
दोपहरयाँ दरखतां तले,
 संज्या बाज्या खेत ॥ (3)