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Wednesday, February 6, 2013

ककराना की मुकुट मणि-मोर पापड़ा और श्रधेय 1008 श्री हरीदासजी महाराज


गजेन्द्र सिंह शेखावत 

ककराना गाँव को दूर से देखते है तो ये तो ये मोर पापड़ा हमें अपने गाँव का सूचक चिन्ह के रूप में आभास करा देता है । गाँव की पहाड़ी के उप्पर सजी कुछ चटाने मुकुट के समान द्रष्टि गोचर  होती है  इन्ही चटानो के ऊपर एक आयताकार चटान्न है यही है "मोर पापड़ा"
मोर पापड़ा पुराने समय से ही काफी चर्चा में रहा है ।बताते है पहले सुबह -शाम के वक्त इस पर मोर आपने पंखों को फैलाकर नृत्य करते थे ।जिसका द्रश्य बड़ा ही सुंदर होता था । और उसीआधार पर इसका नाम मोर पापड़ा पड़ा ।
इसी चटान्न  से एक कथा और जुडी हुई है एक समय भयंकर आकाल पड़ा । बिना वर्षा के चारों तरफ त्राहि -त्राहि मच गयी ।ग्रामीण लोग रोज बादलों की और तकते और भगवन इन्द्र को रोज मनाते । उस समय हमारे गाँव के सिद्ध संत श्री हरी दास जी महाराज से  गाँव की दशा देखि नहीं गयी । कहते है संत  और शुरवीर  मानव मात्र की भलाई के लिए  ही जन्म लेते है । हरी दास जी महाराज का  संत ह्रदय पिंघल गया ।

उन्होंने कसम खायी की जब तक वर्षा नहीं होगी तब तक वह इस "मोर पापड़ा " से निचे नहीं उतरेंगे ।व् एक पैर पर खड़े होकर तपस्या करेंगे ।
इतना कहकर वो इशी मोर- पापड़ा पर खड़े हो गए ।कई सवेरे हुए व् वीरान रातें गुजरी ।परन्तु श्री हरी दास जी महाराज अपनी भीष्म -प्रतिज्ञा के साथ अटल खड़े रहे ।
आखिरकार एक एक सप्ताह की कड़ी साधना के बाद इन्दर देव प्रसन्न हुए ।रिमझिम बारिश की झड़ी लग गयी ।जो की अगले तीन से चार रोज  तक जारी रही ।गाँव में खुशियों की सोरभ  फ़ैल गयी । "हरी दास जी महाराज की जय " से गाँव गूंज उठा ।
गाँव वाले ख़ुशी से नाचते हुए "मोर पापड़ा "पर पहुँच गए व्  हरी दास जी महाराज को ससम्मान निचे उतार कर लाये ।
उलेखनिये है की हरी दास जी का सांसारिक नाम रिछपाल सिंह शेखावत था ।उन्होंने  ठाकुर अगर सिंह के घर ककराना में जन्म लिया ।बचपन में ही उनकी सांसारिक जीवन से विरक्ति हो गयी । उन्होंने भगवन कृष्ण की सगुण भक्ति की ।मकराना के पास देवली नमक गाँव में उन्होंने आश्रम बनाया व् अपनी नस्वर देह त्यागी ।प्रतिवर्ष देवली में उनके निर्वाण दिवस पर भंडारा लगता है व् हजारों की तादाद में श्रद्धालु धोक लगते है ।

                                                                                                                           


Categeory-धर्म -संत महात्मा 

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