गजेन्द्र सिंह शेखावत
गीत- गाओ टाबरों,
थारा मुलकबा सूं देश हरखसि
थे ही तो हो आगला टेशण
जमाना रे साथै करो खूब फैशन
पण याद राखो बुजुर्गा री बातां
बे मुस्किल घडी री रातां
जोबन रो मद भी चढ़सी
कुटुंब कबीलो भी बड़सी
प्रणय की भूलभुलइया में
प्रियतमा की आकृष्ट सय्या में
भूल मत जाज्यो ज्ञान की सीख
मत छोड़ज्यो पुरखां का पगां री लीक
थे ही घर, गांव,परिवार ,रास्त्र री अनमोल थाती हो
जीवन रूपी दीया री, बिन जळी बाती हो|
http://www.gyandarpan.com/2013/11/blog-post.html
गीत- गाओ टाबरों,
थारा मुलकबा सूं देश हरखसि
थे ही तो हो आगला टेशण
जमाना रे साथै करो खूब फैशन
पण याद राखो बुजुर्गा री बातां
बे मुस्किल घडी री रातां
जोबन रो मद भी चढ़सी
कुटुंब कबीलो भी बड़सी
प्रणय की भूलभुलइया में
प्रियतमा की आकृष्ट सय्या में
भूल मत जाज्यो ज्ञान की सीख
मत छोड़ज्यो पुरखां का पगां री लीक
थे ही घर, गांव,परिवार ,रास्त्र री अनमोल थाती हो
जीवन रूपी दीया री, बिन जळी बाती हो|
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